चित्त प्रसाद, जैनुल आबदीन और सोमनाथ होर की चित्र प्रदर्शनी फिल्म फेस्टिवल का प्रुमख आकर्षण थी
फ़िल्मों में बिखरी प्रतिरोध की चेतना को प्रतिरोध की कारगर शक्ति बनाने का सांस्कृतिक अभियान
Wednesday, February 10, 2010
पांचवे गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल की कुछ तस्वीरें
Monday, February 1, 2010
पांचवे गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल का पोस्टर रिलीज
सोमवार को दोपहर एक बजे गोरखपुर प्रेस क्लब के सभागार में जन संस्कृति मंच और गोरखपुर फिल्म सोसाइटी द्वारा 4-7 फरवरी को आयोजित पांचवे गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल का पोस्टर रिलीज किया गया। पोस्टर रिलीज करने के मौके पर आयोजन समिति के वरिष्ठ सदस्य कथाकार मदन मोहन, आलोचक कपिलदेव, संस्कृति कर्मी रामू सिद्धार्थ, डा चन्द्रभूषण अंकुर, आरिफ अजीज लेनिन, गोरखपुर फिल्म सोसाइटी के संयोजक मनोज कुमार सिंह, अशोक चैधरी, डा मुमताज खान, स्वदेश, चक्रपाणि, मनीष चैबे, सुधीर आदि उपस्थित थे। इस मौके पर आयोजन समिति के सदस्यों ने कहा कि पांचवा गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल समाज में हाशिए के लोगों और उनके जीवन संघर्षों को सम्बोधित है। इसी को केन्द्र में रखकर फीचर, डाक्यूमेंटरी, लघु और एनिमेशन फिल्मों का चयन किया गया है। गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल अन्य फिल्म उत्सवों की तरह फिल्मों को दिखाने का सिर्फ एक मंच नहीं है बल्कि हम इस आयोजनं के जरिए देश और दुनिया में आम लोगों की स्थितियों, उनकी समस्याओं, संघर्ष के साथ सत्ता की राजनीति को देखना और समझना चाहते हैं। यह फिल्म फेस्टिवल सिनेमा में उस आम आदमी की आवाज है जो शोषण, अन्याय, भेदभाव, असमानता का सामना कर रहा है और इन स्थितियों को स्वीकार करने से इनकार करता है। इसलिए हम इसे प्रतिरोध का सिनेमा कहते है। इसकी यात्रा पांच वर्ष पहले 2006 में गोरखपुर से ही शुरू हुई थी। इन पांच वर्षों में गोरखपुर लगातार फिल्म फेस्टिवल का आयोजन तो हुआ ही देश के दूसरे शहरों लखनउ, भिलाई, नैनीताल, बरेली, इलाहाबाद, पटना आदि स्थानांे पर इस तरह के आयोजन हुए। गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल की तरह अब तक कुल 12 फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हो चुका है।
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