Tuesday, August 31, 2010

दूसरा नैनीताल फ़िल्म फेस्टिवल

प्रिय मित्रों ,
दूसरे नैनीताल फिल्म फेस्टिवल संबंधी सूचना प्रकाशित कर रहा हूँ. मेहरबानी करके इसे विभिन्न जगहों पर प्रकाशित करवाने का प्रयास करें. नैनीताल में सितम्बर के महीने में मौसम सुहावना रहता है लेकिन फिर भी गरम कपड़ों की जरुरत पड़ सकती है. सस्ते और सुन्दर होटल के लिए आप फेस्टिवल के संयोजक ज़हूर आलम से बात कर सकते हैं या खुद भी internet के जरिये अच्छे विकल्प तलाश सकते हैं. फेस्टिवल 24 सितम्बर को दुपहर में 3.30 बजे शुरू होगा. उस दिन वसुधा जोशी की अल्मोड़े के दशहरे पर केन्द्रित डाक्यूमेंटरी अल्मोडियाना और बेला नेगी की पहाड़ के जीवन पर आधारित फीचर फ़िल्म दायें या बाएं का प्रदर्शन होगा. इस फ़िल्म में हाल ही में दिवंगत गिर्दा का भी जीवंत अभिनय है. अगले दोनों दिन यानि 25 और 26 सितम्बर को फेस्टिवल सुबह 10.30 बजे से शुरू होकर रात 9 बजे तक चलेगा . आपके सहयोग की उम्मीद में.




दूसरा नैनीताल फिल्म फेस्टिवल
२४ से २६ सितम्बर, २०१०
शैले हाल, नैनीताल क्लब, मल्लीताल, नैनीताल, उत्तराखंड

गिर्दा और निर्मल पांडे की याद में
युगमंच और द ग्रुप, जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित
प्रमुख आकर्षण :
फीचर फिल्म:

दायें या बायें (निर्देशिका: बेला नेगी), खरगोश(निर्देशक: परेश कामदार), छुटकन की महाभारत (निर्देशक: संकल्प मेश्राम)
डाक्यूमेंटरी:
वसुधा जोशी की फिल्मों पर ख़ास फोकस ( फिल्में : अल्मोडियाना, फॉर माया, वायसेस फ्राम बलियापाल)
जश्ने आज़ादी (निर्देशक: संजय काक), कित्ते मिल वे माह़ी (निर्देशक: अजय भारद्वाज ), फ्राम हिन्दु टू हिन्दुत्व (निर्देशक: देबरंजन सारंगी ), आई वंडर ( निर्देशिका: अनुपमा श्रीनिवासन ), अँधेरे से पहले (निर्देशक: अजय टी जी ) और मेकर्स ऑफ़ दुर्गा (निर्देशक: राजीव कुमार).

अन्य आकर्षण :
प्रयाग जोशी और बी मोहन नेगी का सम्मान, बी मोहन नेगी के चित्रों और कविता पोस्टरों की प्रदर्शनी, अफ्रीका के जन जीवन पर पत्रकार राजेश जोशी का व्याख्यान -प्रदर्शन , युगमंच के बाल कलाकारों द्वारा लघु नाटक, तरुण भारतीय और के मार्क स्वेअर द्वारा संयोजित म्यूजिक विडियो का गुलदस्ता, लघु फिल्मों का पैकेज,फिल्मकारों के साथ सीधा संवाद और फैज़, शमशेर बहादुर सिंह, नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, अज्ञेय और गिर्दा की कविताओं के पोस्टरों का लोकार्पण .

ख़ास बात: यह आयोजन पूरी तरह निशुल्क है . फिल्म फेस्टिवल में प्रवेश के लिए किसी भी तरह के औपचारिक आमंत्रण की जरुरत नहीं है.

संपर्क: ज़हूर आलम , संयोजक , दूसरा नैनीताल फिल्म फेस्टिवल
इन्तखाब, मल्लीबाज़ार, मल्लीताल, नैनीताल, उत्तराखंड
फ़ोन: 09412983164, 05942- 237674
संजय जोशी, फेस्टिवल निदेशक, दूसरा नैनीताल फिल्म फेस्टिवल
C-303 जनसत्ता अपार्टमेंट्स , सेक्टर 9, वसुंधरा
गाज़ियाबाद , उत्तर प्रदेश -201012
फ़ोन: 09811577426, 0120-4108090

Monday, August 2, 2010

Press Release

जन संस्कृति मंच
प्रॆस‍ ‍विग्यप्ति
2 अगस्त, दिल्ली .जन संस्कृति मंच पिछले दिनों म. गा ही. वि. वि. के कुलपति श्री विभूति राय द्वारा एक साक्षात्कार के दौरान हिंदी रत्री लेखन और लेखिकाओं के बारे में असम्मानजनक वक्तव्य की घोर निंदा करता है. यह साक्षात्कार उन्होंने नया ज्ञानोदय पत्रिका को दिया था. हमारी समझ से यह बयान न केवल हिंदी लेखिकाओं की गरिमा के खिलाफ है , बल्कि उसमें प्रयुक्त शब्द स्त्रीमात्र के लिए अपमानजनक हैं. इतना ही नहीं बल्कि बयान हिंदी के स्त्रीलेखन की एक सतही समझ को भी प्रदर्शित करता है. आश्चार्य है की पूरे साक्षात्कार में यह बयान पैबंद की तरह अलग से दीखता है क्योंकि बाकी कही गई बातों से उसका कॊई सम्बन्ध् भी नहीं है. अच्छा हो कि श्री राय अपने बयान पर सफाई देने की जगह उसे वापस लें और लेखिकाओं से माफ़ी मांगें.
नया ज्ञानोदय के सम्पादक रवींद्र कालिया अगर चाहते तो इस बयान को अपने सम्पादकीय अधिकार का प्रयोग कर छपने से रोक सकते थे. लेकिन उन्होंने तो इसे पत्रिका के प्रमोशन के लिए, चर्चा के लिए उपयोगी समझा.
आज के बाजारवादी, उपभोक्तावादी दौर में साहित्य के हलकों में भी सनसनी की तलाश में कई सम्पादक , लेखक बेचैन हैं. इस सनसनी-खोजी साहित्यिक पत्रकारिता का मुख्य निशाना स्त्री लेखिकाएँ हैं और व्यापक स्तर पर पूरा स्त्री-अस्तित्व. रवींद्र कालिया को भी इसके लिए माफी माँगना चाहिए. जिन्हें स्त्री लेखन के व्यापक सरोकारों और स्त्री मुक्ति की चिंता है वे इस भाषा में बात नहीं किया करते. साठोत्तरी पीढ़ी के कुछ कहानीकारों ने जिस स्त्री-विरोधी, अराजक भाषा की ईजाद की, उस भाषा में न कोई मूल्यांकन संभव है और न विमर्श. जसम हिंदी की उन तमाम लेखिकाओं व प्रबुद्धजन कॆ साथ है जिन्हॊनॆ इस बयान पर अपना रॊष‌ व्यक्त किया है.
प्रणय कृष्ण,
महासचिव, जसम