Tuesday, December 15, 2009

मानवाधिकार दिवस पर गोरखपुर में फिल्म शो

मानवाधिकार दिवस पर पूर्वांचल में भुखमरी पर बनी डाक्यूमेन्ट्री दिखाई गई
गोरखपुर। डाक्यूमेन्ट्री फिल्म एनआदर आस्पेक्ट आफ इंडिया राइजिंग-डेथ बाई स्टारवेशन, गोरखपुर, कुशीनगर सहित कई जिलों में भुखमरी से मौतों के कारणों की जांच-पड़ताल करने वाली फिल्म है। यह फिल्म गरीबों तक सरकारी योजनाओं की पहुंचाने में सरकारी विफलता और शासन-प्रशासन की असंवेदनशीलता को सामने लाती है।मानवाधिकार दिवस पर प्रेस क्लब सभागार में गुरूवार की शाम इस फिल्म का शो हुआ। यह आयोजन गोरखपुर फिल्म सोसाइटी ने किया था। इस फिल्म को सच्चिदानंद मिश्र और विजय प्रकाश मौर्य ने बनाया है। ये दोनों युवक देवरिया जिले के रहने वाले हैं। पौन घंटे की इस फिल्म में नगीना मुसहर, शिवनाथ मुसहर से लेकर भिखारी, नारायण, पूजा, सोनू, विनोद गौड़, विकाउ चैहान, भीखी मल्लाह, तेजू निषाद सहित कुपोषण और भूख से मरे 22 व्यक्तियों के परिजनों, ग्रामीणों तथा भूख से हुई मौतों को कवर करने वाले पत्रकारों से बातचीत व साक्षात्कार तथा दस्तावेजों के अध्ययन पर आधारित इस फिल्म के कई दृश्य बहुत ही मार्मिक बन पड़े हैं। फिल्म के एक दृश्य में अपने पति और बच्चे को खो देने वाली महिला कहती है कि अपने बच्चों को भूख से बचाने के लिए किसके सामने हाथ पसारे ? यह एक दिन की बात तो नहीं है। यह तो रोज-रोज का है। इसी तरह एक दृश्य में भूख से मर गए दो बच्चों का पिता मीडिया कर्मियों को देखते ही गाली देने लगता है और कहता है कि उसकी रोज फोटो ली जा रही है लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। फिल्म का शो शुरू होने के पहले गोरखपुर फिल्म सोसाइटी के संयोजक मनोज कुमार सिंह ने फिल्म और इसके निर्माता-निर्देशक सच्चिदानंद मिश्र व विजय प्रकाश मौर्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गोरखपुर-बस्ती मण्डल के सात जिलों में वर्ष 2004 से अब तक भुखमरी से 70 से अधिक मामले आ चुके हैं लेकिन सरकार-प्रशासन ने एक भी मौत को स्वीकार नहीं किया है। यह फिल्म भुखमरी के कारणों की न केवल जांच-पड़ताल करती है बल्कि ग्रामीण गरीबों को जिंदा रहने के जद्दोजेहद को सामने लाते हुए सरकार की लफफाजी का पर्दाफाश करती है। फिल्म के प्रोड्यूसर और निर्देशक सच्चिदानंद ने फिल्म निर्माण से जुड़े अनुभवों की चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें इसे बनाने में आठ महीने लगे और उन्हें उम्मीद है कि यह फिल्म लोगों को इस संवेदनशील मुद्दे पर झकझोरने का काम करेगी। इस मौके पर राजा राम चैधरी, कथाकार रवि राय, आसिफ सईद, आरिफ अजीज लेनिन, रामू सिद्धार्थ, नितेन अग्रवाल, अशोक चैधरी, मनीष चैबे, बैजनाथ मिश्र, सुधीर, मनोज सिंह एडवोकेट आदि उपस्थित थे।

मनोज

3 comments:

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

बहुत अँधेरी है रात तो क्या हंगामा
हमारे आराम की बरक्कत पर नज़र क्यों लगाते हो ?
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बन्धु दिया जलाए रखो। करोड़ों रुपयों की रोशनी दीवारों से बाहर नहीं आती। ताखे पर रखी ढेबरी ही काम आएगी।

परमजीत सिहँ बाली said...

सरकारी आंकड़ो की तो बात ही निराली है जी......उन के लिए ७० लोग १ के बराबर हैं...;))

kamlakar Mishra Smriti Sansthan said...

it is shameful for our so called society & so called devlopment..........thanks a lot for showing this issue....