Sunday, October 3, 2010

प्रतिरोध के सिनेमा का तीसरा लखनऊ फिल्म उत्सव

प्रेस विज्ञप्ति

गिरीश तिवाड़ी गिर्दा की याद को समर्पित
तीसरा लखनऊ फिल्म समारोह 8 से 10 अक्टूबर तक

लखनऊ, 3 अक्तूबर। जन संस्कृति मंच (जसम) ने तीसरे लखनऊ फिल्म उत्सव को सुपरिचित कलाकार व गायक गिरीश तिवाड़ी गिर्दा की याद को समर्पित किया है। यह समारोह आगामी 8 अक्टूबर को वाल्मीकि रंगशाला, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, गोमती नगर में शाम चार बजे शुरू होगा तथा 10 अक्टूबर तक चलेगा। ‘प्रतिरोध का सिनेमा’ की थीम पर आयोजित इस फिल्म उत्सव का उदघाटन हिन्दी के जाने-माने आलोचक व जसम के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण करेंगे तथा ‘जीवन और कला: सदर्भ तेभागा किसान आंदोलन और सोमनाथ होड़’ पर प्रसिद्ध चित्रकार अशोक भौमिक के व्याख्यान से समारोह की शुरुआत होगी।

फीचर फिल्मों की श्रृंखला में गौतम घोष की ‘पार’ तथा बेला नेगी की ‘दाँये या बाँये’ दिखाई जायेंगी। ‘दाँये या बाँये’ में गिरीश तिवाड़ी गिर्दा की यादगार भूमिका है। समारोह में पिछली शताब्दी के क्रान्तिकारी फिल्मकार इल्माज गुने की चर्चित फिल्म ‘सुरू’ का प्रदर्शन होगा, वहीं लखनऊ के दर्शक ईरानी फीचर फिल्म ‘टर्टल्स कैन फ्लाई’ देख सकेंगे। ईरान के प्रसिद्ध फिल्मकार बेहमन गोबादी के निर्देशन में युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म उस विभीषिका को सामने लाती है जिसमें मनुष्य और मनुष्यता को खत्म किया जा रहा है।

लखनऊ फिल्म समारोह में वृतचित्रों के खण्ड में कबीर पर बनाई शबनम विरमानी की फिल्म ‘हद अनहद’ दिखाई जायेगी। पिछले दिनों देश के विभिन्न हिस्सों में हुए सत्ता के दमन और उसके खिलाफ संघर्ष तथा जनजीवन को गहरे प्रभावित करने वाली घटनाओं और त्रासदी को केन्द्र कर कई वृतचित्र बने जैसे कश्मीर पर संजय काक ने ‘जश्ने आजादी’ बनाई तो ओडीशा के कंधमाल में हुए दंगों पर देबरंजन सारंगी ने ‘फ्राम हिन्दू टू हिन्दूत्व’, बनारस के मणिकर्णिका घाट पर चिता जलाने वाले बच्चों की दशा पर राजेश एस जाला ने ‘चिल्ड्रेन ऑफ पायर’, पुणे महानगर में कचरे की राजनीति व सफाई कर्मचारियों के कर्मजीवन पर अतुल पेठे ने ‘कचरा व्यूह’ जैसे वृतचित्रों का निर्माण किया। ये फिल्में लखनऊ फिल्म समारोह का मुख्य आकर्षण होंगी।

इस फिल्म उत्सव में बच्चों का भी एक सत्र है जिसमें अल्बर्ट लामूरिस्सी की फ्रेंच फिल्म ‘रेड बैलून’ तथा हिन्दी फीचर फिल्म ‘छुटकन की महाभारत’ का आनन्द बच्चे उठा सकेंगे। फिल्मों के अलावा समारोह में संवाद, परिचर्चा तथा गायन के भी कार्यक्रम होंगे। ‘प्रतिपक्ष की भूमिका में सिनेमा’, ‘वृतचित्र: प्रतिरोध के कई रंग’, बदलती दुनिया में सिनेमा’ आदि विषयों पर परिसंवाद में अजय कुमार, अजय सिंह, संजय जोशी, राजेश कुमार, अनिल सिन्हा, भगवान स्वरूप कटियार, मनोज सिंह आदि भाग लेंगे। तरुण भारतीय और के मार्क स्वेअर द्वारा तैयार म्यूजिक वीडियो के गुलदस्ते ‘हम देखेंगे’ का लखनऊ के दर्शक आस्वादन करेंगे। मालविका भी अपना गायन प्रस्तुत करेंगी।


जसम के संयोजक कौशल किशोर ने बताया कि आज दर्शक स्वस्थ मनोरंजन चाहता है और हमारी कोशिश है कि जनता तक ऐसी कला पहुँचाई जाय जो उन्हें सजग, संवेदनशील, जागरुक और जुझारू बनाये। सिनेमा सशक्त व लोकप्रिय कला माध्यम है। यह आन्दोलन और प्रतिरोध का माध्यम बने। आज जनजीवन और सामाजिक संघर्षों से जुड़ी ऐसी कथा फिल्मों और वृतचित्रों का निर्माण हो रहा है जहाँ समाज की कठोर सच्चाइयाँ हैं, जनता का दुख.दर्द, हर्ष.विषाद और उसका संघर्ष व सपने हैं। इसी तरह की फिल्मों को लेकर तीन दिन का यह कार्यक्रम है। फिल्मों का प्रदर्शन निशुल्क और जनता के सहयोग से किया जा रहा है। इस अवसर पर ‘प्रतिपक्ष की भूमिका में सिनेमा’ स्मारिका भी जारी की जायेगी।

प्रेस वार्ता को लेखक व पत्रकार अनिल सिन्हा, नाटककार राजेश कुमार, कवि भगवान स्वरूप कटिया , संस्कृतिकर्मी रवीन्द्र कुमार सिन्हा आदि ने भी सम्बोधित किया।

कौशल किशोर

संयोजक
जन संस्कृति मंच, लखनऊ

e mail : kaushalsil.2008@gmail.com

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