Thursday, September 20, 2007

इन्तज़ार है

हालांकि फ़ेस्टिवल के दिनों में सबकी रेल बनी रहती है लेकिन अशोक चौधरी का उत्साह देखिये...अभी फ़ेस्टिवल को आने में कोई पांच महीने हैं और अभी से उसके आने की राह तक रहे हैं. भई उत्साह हो तो ऐसा!
इसीलिये हम कहते हैं कि गोरखपुर फ़िल्म फ़ेस्टिवल में है कुछ ऐसा जो सबको दीवाना बनाए रहता है।






फ़िल्म फ़ेस्टिवल आयोजन समिति के एक खांटी सिपाही अशोक चौधरी

4 comments:

VIMAL VERMA said...

भाई अभी भी उतना ही उत्साह गज़ब है हमारा तो कम हो रहा है। इस बार फ़ेस्टिवल मे मुख्य आकर्षण क्या है भाई.. ऐसे ही ही बना रहे उत्साह आपका हमारी शुभकामनाएं !!!!

ढाईआखर said...

वाह...लग रहा है कि कोई हीरो अपने शॉट का इंतज़ार कर रहा है। अच्छा है पहले मनोज और मनीष अब अशोक जी... जब तक फेस्टिवल में कुछ न हो... कारकुनों के झलक दिखाते जायें। यादें ताज़ा होती रहेंगी।

Anonymous said...

Com.Ashok ne lagta hai ab tak apni tasveer blog par nahi dekhi ya unhe yah tasveer bhali nahi lag rahi hai, Ashok ji sun rahe hain kya?
sanjaY JOSHI

bagi said...

tasbir ka kaya hai.bus lagana chahiye ki aap hi hain. baki sub thik hai.morche ki tayari me lug gaye hain.