चौथे गोरखपुर फ़िल्म फेस्टिवल की शुरुआत.
- साम्राज्यवाद के दलालों की शिनाख्त ज़रूरी: अरुंधति राय.
-वैश्वीकरण और साम्प्रदायिकता के बीच गहरा रिश्ता: अरुंधति राय
- गिरीश कासरवल्ली की नई फ़िल्म 'गुलाबी टाकीज' से समारोह में फ़िल्म-प्रदर्शन की शुरुआत.
गोरखपुर से सीधी रपट. पाँच फरवरी 2009. 'अमरीकी साम्राज्यवाद से मुक्ति के नाम'. जन-संस्कृति मंच और गोरखपुर फ़िल्म सोसायटी 'एक्सप्रेशन' की ओर से गोकुल अतिथि भवन में आयोजित चौथे गोरखपुर फ़िल्म उत्सव की आज रंगारंग शुरुआत हुई. इस चार दिवसीय फ़िल्म उत्सव का उद्घाटन अमेरीकी साम्राज्यवाद की मुखर विरोधी रही चर्चित लेखिका अरुंधति राय ने किया. राय ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में साम्राज्यवाद के नए रूपों की पहचान की जरूरत को रेखांकित किया. उन्होनें कहा कि आज के समय में लगता है साम्राज्यवाद का अमेरिकी मॉडल हार रहा है. ओबामा अमेरिकी साम्राज्यवाद के जहाज़ को इमरजेंसी लेंडिंग कराने वाले पायलेट की भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन इस वक़्त साम्राज्यवाद के नए रूपों की शिनाख्त और ज़रूरी हो जाती है. हमें देखना होगा कि इसबार वो कहाँ से, किसका चेहरा धरकर हमारे सामने आता है. बहुत ज़रूरी है कि हम उन छोटी-छोटी लडाइयों को पहचानें जिनका संघर्ष अपने स्तर पर साम्राज्यवाद का मुकाबला कर रहा है. अरुंधति ने नरेन्द्र मोदी और रतन टाटा के हालिया गठबंधन का ज़िक्र करते हुए कहा कि पूँजीवाद और साम्प्रदायिकता का यह रिश्ता बहुत पुराना है. नब्बे के दशक की शुरुआत में हिन्दुस्तान में इन दोनों का प्रभाव एकसाथ बढ़ा है और इन दोनों प्रक्रियाओं का आपस में सम्बन्ध बहुत गहरा है. आज मोदी रतन टाटा को तो मुफ्त बिजली, पानी और लाखों रूपये दे रहे हैं लेकिन गरीब किसान के लिए एक लाख रूपये का क़र्ज़ भी बारह प्रतिशत की ब्याज दर पर है. साफ़ है कि सरकार किसका हित देखती है।
इस अवसर पर गिरीश कासरवल्ली ने आज के समय में सार्थक सिनेमा की जरूरत को और ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बताया और कहा कि इस तरह के सिनेमा को आम जनता ही आगे बढ़ाएगी, सरकार और व्यवस्था के अंग नहीं। उनकी फ़िल्म 'गुलाबी टाकीज' प्रदर्शन समारोह का मुख्य आकर्षण थी. इस मौके पर फिल्मकार संजय काक ने चौथे फ़िल्म समारोह की स्मारिका का लोकार्पण किया।
चौथे गोरखपुर फ़िल्म उत्सव की आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. रामकृष्ण मणि त्रिपाठी ने स्वागत वक्तव्य में साम्राज्यवाद विरोध को और नई ऊँचाई तक ले जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. संचालन जसम उत्तर प्रदेश के सचिव, युवा आलोचक आशुतोष कुमार ने किया। सत्र के अध्यक्ष मार्क्सवादी विचारक और समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय ने हाल में फिलिस्तीनी जनता पर इजरायल द्वारा किए गए बर्बर हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि साम्राज्यवाद ने किस तरह की त्रासदी और राजनीतिक समस्यायों को पैदा किया, फिलिस्तीन इसका उदाहरण है. इजरायली बर्बरता को अमरीकी साम्राज्यवाद ही खुलकर शह देता रहा है. उन्होंने कहा कि अमरीका में ओबामा के राष्ट्रपति बन जाने से ही उसकी नीतियों में बदलाव की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. फिलिस्तीन, इराक, अफगानिस्तान, हर जगह अमरीका के आतंकी- विध्वंसक कारवाइयों के ख़िलाफ़ विश्व-जनमत एकजुट होकर मुखर हो रहा है।
आयोजन स्थल पर लेनिन पुस्तक केन्द्र, बिस्मिल पुस्तक केन्द्र, संवाद और समकालीन जनमत की ओर से बुक स्टाल लगाया गया है. 'एक्सप्रेशन' गोरखपुर फ़िल्म सोसायटी द्वारा लगाए गए फ़िल्म और जनगीतों के बिक्री केन्द्र पर भी खूब भीड़ जुटी और लोगों ने बढ़-चढ़कर फिल्मों, आन्दोलन से जुड़े गीतों की सी.डी. और पोस्टर्स की खरीददारी की.
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